खता क्या थी मेरी ?
गतांक से आगे.…
मां पिता जी के कमरे में दहाड़ती हुई पहुंची मेरा दिल धड़क धड़क कर रहा था बस यही लग रहा था कि मैंने तो कोई ऐसी" खता" भी नहीं की जो मां ऐसा व्यवहार कर रही है पर जैसे ही छोटी मां कमरे में गयी सब कुछ शांत सा हो गया मैं बाहर खड़ी सोच रही थी ऐसा क्या हो गया जो मां एकदम से शांत हो गई।जब पिताजी कमरे से बाहर आये तो मैंने यही कहते सुना पिता जी को ,"कल ही निकलना होगा सोच रहा हूं विदेशी व्यापार है सोहन को साथ ले जाऊं अठे नौकरी में क्या रखा है एक बार व्यापार अच्छा चल जाएगा तो सभी को सुख होगा दो चार साल व्यापार कर अपने देस आ जाएंगे। मैं समझ गयी थी छोटी मां के कुटिल मन में क्या चल रहा था ।वो चाहती थी किसी तरह पिताजी और भाई जाए तो वो मेरे साथ अपनी मनमानी करें।इन दोनों का ही कुछ डर था ।उस दिन पूरी रात मेरी रोते-रोते गुजरी एक तो मार का दर्द दूसरा आने वाले समय का डर कि भाई और पिताजी के पीछे से मां मेरे साथ क्या सलूक करेंगी। पिताजी व भाई बिदेस चले गये साथ ही मेरे लिए छोड़ गये दुखों का पहाड़।
अब तो छोटी मां बहुत ही अत्याचार करने लगी थी उस दिन सैफ की हरकत से चिढी हुई थी सारा दिन रंडी, वेश्या ना जाने सैफ के लिए मुझे क्या क्या कहती थी कयी बार सैफ ने भी रमा से मेरा हालचाल पूछा था कि तुम्हारी बहन का क्या हाल है रमा मेरा सारा हाल सैफ को बता देती कि कैसे मां दीदी को तंग करती है दो दो दिन खाना नहीं देती सैफ भी तड़प के रह गये।उनका ऐसा दिल करता वो आते और मुझे सारी बंदिशों से आजाद कराकर ले जाए।अब वो भाई के बहाने से भी मुझे देखने नहीं आ सकते थे।एक दिन जरा सी बात पर मां ने मुझे गर्म गर्म चिमटे से मारा मेरे शरीर पर जगह-जगह फफोले पड़ गये ।सैफ को जब इस बात का पता लगा तो उनकी बर्दाश्त से बाहर हो गयी बात वो मन में फैसला लेकर हमारी हवेली आ गये।जैसे ही उन्होंने दरवाजा खटखटाया छोटी मां ने दरवाजा खोला उनको देखते ही बोली,"क्या है । क्या लेने आये हो सोहन तो ना है घर में।"सैफ बेखोफ होकर छोटी मां के सामने डटकर खड़े हो गये।,"चाचीजी !आज मैं आप से बात करने आया हूं ।आप कनक पर इतना जुल्म क्यों करती हो आखिर 'खता क्या है 'इसकी जो आप एक जानवर को जैसे मारते हैं ऐसे मार रही हो माना ये प्यार करती है मुझसे, प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं है। मैं मानता हूं मैं मुस्लिम परिवार से हूं पर प्यार जात-पात कहां जानता है ये तो बस हो जाता है आप ये खुदा की नेमत समझिए कि ख़ुदा की इबादत खुद चलकर आपके घर आयी है । प्यार करने वाले ख़ुदा के फरिश्ते होते हैं।आप भी अपने धर्म में कट्टर है मैं ये नहीं कहूंगा कि धर्म परिवर्तन करें कनक ।अगर धर्म ही हमारे प्यार के रास्ते में अड़ता है तो मैं ये धर्म, जात-पात नहीं मानता ।"चुप रह करमजले!तू तो है ही पाजी तू क्या जाने समाज, धर्म, जात-पात।हम जिस खानदान से है वहां लड़कियों की अपनी मर्ज़ी नहीं चलती सादी ब्याह में।अगर लड़की अपने मन से कोई कदम उठाती है तो काट कर रख देते हैं। बड़ा आया हिमायती।"छोटी मां नागिन की तरह फुंकार रही थी।सैफ शांत हो कर बोले,"चाचीजी अगर धर्म ही हम दोनों के बीच में अड़ रहा है तो मैं धर्म परिवर्तन कर के कनक को अपना बनाने के लिए तैयार हूं।मैं हिन्दू बन जाऊंगा अपनी कनक के लिए।"सैफ सुबकने लगे थे उनसे मेरे हाथों और शरीर पर बने फफोले बर्दाश्त नहीं हो रहे थे।पर छोटी मां को तो उनका दुःख दिखाई ही नहीं दे रहा था। बस उनको खरी-खोटी सुनाये जा रही थी ,"अपने पैसों का घमंड किसी ओर को दिखाना हमारी लड़की बिकाऊ नहीं है।"जो मन में आया अंटशंट बोले जा रही थी। सैफ भी अब तंग आ चुके थे उनकी बदतमीजी से।जोर से बोले,"चाचीजी अगर आप ऐसे नहीं मानेगी तो मैं कनक को भगाकर ले जाऊं गा। मैं इस दोजख में अब एक पल नहीं रहने दूंगा इसे।ये कह कर सैफ बडबडाते हुए हवेली से निकल गये। छोटी मां ऐसे फुफकार रही थी जैसे आगे से शिकार चला गया हो।सैफ के जाने के बाद छोटी मां का सारा गुस्सा मुझ पर निकला।मेरे शरीर के सारे फफोले फूट गये उनकी मार से । मैं रोती सुबकती अपने कमरे में आ गयी ।रोते रोते मेरी हल्के से झपकी लग गयी ।रात के दो पहर ही बीते होंगे तभी मुझे रमा ने हल्के से हिलाते हुए मुझे जगाया ,"दीदी जब तुम अपने कमरे में चली गयी थी ना तो मां ने पड़ोस के दीनू काका को भेजा है मामा के घर वो उनको बुला रही है। मैं तो आवाक रह गयी ।अब क्या होगा(क्रमशः)
Seema Priyadarshini sahay
19-Feb-2022 04:45 PM
बहुत ही रोचक स्टोरी है मैम..
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Monika garg
19-Feb-2022 09:28 PM
धन्यवाद
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Archita vndna
19-Feb-2022 03:38 PM
Intresting story
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Monika garg
19-Feb-2022 04:26 PM
धन्यवाद
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क्रिया क्रिया
19-Feb-2022 02:41 PM
Very interesting story
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Monika garg
19-Feb-2022 04:26 PM
धन्यवाद
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